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गरीब होना क्या गुनाह है?”
गढ़वा जिले के धुरकी थाना अंतर्गत टाटीदीरी ग्राम पंचायत के कुसुमदामर वार्ड नंबर 15 की हालत इतनी दयनीय है कि वहां के ग्रामीण हर दिन संघर्ष की ज़िंदगी जी रहे हैं।
यहाँ की सबसे बड़ी समस्या है — रोड का न होना।
सालों से वादे होते रहे, आश्वासन मिलते रहे, लेकिन हकीकत यह है कि आज भी इस वार्ड तक पहुँचने के लिए कीचड़ और गड्ढों से होकर गुजरना पड़ता है। बरसात के दिनों में यह रास्ता किसी दलदल से कम नहीं होता।
स्कूल जाने वाले मासूम बच्चे हर सुबह डर और तकलीफ़ के साथ निकलते हैं। कभी गिरकर चोट लगती है, तो कभी जूते कीचड़ में धँस जाते हैं। कई बार बच्चे स्कूल तक पहुँच ही नहीं पाते।
उनकी आँखों में पढ़ने का सपना है, लेकिन टूटी सड़कों ने जैसे उनकी उम्मीदों को बाँध दिया है।
ग्रामीणों का कहना है — “अगर किसी के घर में कोई बीमार पड़ जाए, तो उसे अस्पताल ले जाना मानो जान जोखिम में डालना है। गाड़ी नहीं पहुँचती, तो खटिया पर उठाकर कई किलोमीटर तक पैदल ले जाना पड़ता है।”
कई बार देरी होने के कारण जान तक चली जाती है।
सरकार और प्रशासन से ग्रामीणों का एक ही सवाल है — क्या गरीब होना गुनाह है?
क्यों उनकी सुनवाई नहीं होती? क्यों उनके गाँव तक विकास की रोशनी नहीं पहुँचती?
ग्रामीणों ने गढ़वा जिला उपायुक्त श्री दिनेश कुमार यादव जी से गुहार लगाई है कि जल्द से जल्द इस वार्ड की सड़क का निर्माण कराया जाए, ताकि लोगों को राहत मिल सके और बच्चों को शिक्षा की राह में कठिनाई न झेलनी पड़े।
यह सिर्फ एक सड़क की कहानी नहीं है,
यह उन सैकड़ों गरीब परिवारों की कहानी है जो हर दिन उम्मीद और बेबसी के बीच जी रहे हैं।
विकास के इस युग में अगर किसी गाँव में सड़क न हो, तो यह सिर्फ प्रशासन की नाकामी नहीं, बल्कि व्यवस्था की संवेदनहीनता भी है।
अब सवाल यह है —
क्या गरीब होना सच में गुनाह है?
या फिर सरकार का कर्तव्य केवल वादों तक सीमित रह गया है?
न्याय की बात वेब न्यूज।
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