धुरकी, गढ़वा, धुरकी थाना प्रभारी जनार्दन राऊत बने ग़रीबों की हमदर्द।
कड़ाके की ठंड के बीच धुरकी थाना प्रभारी जनार्दन राऊत एक बार फिर मानवता की मिसाल बने। बुधवार को उन्होंने थाना क्षेत्र के गरीब, असहाय और जरूरतमंद लोगों के बीच कम्बल वितरण कर न केवल राहत पहुंचाई, बल्कि ग्रामीणों के दिलों में इंसानियत की गर्माहट भी भर दी। यह कार्यक्रम थाना परिसर और आस-पास के गांवों में आयोजित किया गया, जहां बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।
सुबह से ही ठंड की तीखी हवा चल रही थी, ऐसे में गरीब तबके के परिवारों के चेहरों पर चिंता साफ दिखाई दे रही थी। लेकिन जनार्दन राऊत के इस कदम ने लोगों की परेशानी कम कर दी। थाना प्रभारी ने खुद जरूरतमंदों की लाइन में खड़े होकर एक-एक कर कम्बल सौंपे। उनकी इस पहल के कारण कई बुजुर्ग, महिलाएं और ठंड से जूझ रहे मजदूरों को राहत मिली। कार्यक्रम के दौरान ग्रामीणों ने बताया कि इस वर्ष ठंड कुछ ज्यादा पड़ रही है, ऐसे में उन्हें इस तरह की मदद की सख्त जरूरत थी।
ग्रामीणों ने थाना प्रभारी की जमकर प्रशंसा करते हुए कहा कि प्रशासनिक जिम्मेदारियों के साथ मानवीय संवेदनाएं भी होना जरूरी है, और जनार्दन राऊत इसके सच्चे उदाहरण हैं। कई गांवों से आए ग्रामीणों ने कहा कि “थाना प्रभारी नहीं, हमारे लिए फरिश्ता बनकर आए हैं।“ कई बुजुर्ग महिलाओं ने आशीर्वाद देते हुए कहा कि इस पहल ने उन्हें ठंड से बचाने के साथ-साथ त्योहार जैसी खुशियां भी दे दी हैं।
कम्बल वितरण कार्यक्रम के दौरान थाना प्रभारी ने लोगों से कहा कि पुलिस सिर्फ कानून-व्यवस्था के लिए नहीं, बल्कि समाज की सेवा के लिए भी है। उन्होंने यह भी अपील की कि यदि कोई परिवार या व्यक्ति मुश्किल में है, तो वह बेझिझक थाना से संपर्क करे। पुलिस हर संभव मदद के लिए तैयार है।
जनार्दन राऊत ने बताया कि यह पहल उनके व्यक्तिगत स्तर पर उठाया गया कदम है और आगे भी ऐसे कई सामाजिक कार्य जारी रहेंगे। उन्होंने स्थानीय लोगों से आपसी भाईचारा बनाए रखने, बच्चों की शिक्षा पर ध्यान देने और शराब जैसी बुराइयों से दूर रहने की अपील भी की। कार्यक्रम में मौजूद पुलिस कर्मियों ने भी अपनी स्वेच्छा से जरूरतमंदों के लिए सहयोग किया।
कुल मिलाकर, धुरकी थाना प्रभारी की यह पहल इलाके में चर्चा का विषय बन गई। जहां आमतौर पर पुलिस को लेकर लोगों में डर या दूरी रहती है, वहीं जनार्दन राऊत की यह मानवीय पहल पुलिस और जनता के बीच विश्वास की नई दीवार खड़ी कर रही है। ठंड से कांपते लोगों के लिए यह कम्बल सिर्फ कपड़ा नहीं, बल्कि उम्मीद और सहारे का प्रतीक बनकर पहुंचा है। ग्रामीणों का कहना था कि यदि हर अधिकारी इसी तरह आगे आए तो समाज में खुशहाली और सुरक्षा की भावना और मजबूत होगी।
धुरकी में बुधवार का दिन जरूर ठंडा था, लेकिन जनार्दन राऊत के इस कदम ने पूरे क्षेत्र के माहौल में एक गर्माहट ला दी—मानवता की गर्माहट।












